Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-18 ( Vengeance~ प्रतिशोध )

"छोड़ दे बे अरमान वरना यही रो पड़ेंगी ये..."

"अले.. ले.. ले... जाओ हो गया... तुम पाँचो को मैने माफ़ किया और जिसको बुलाना है बुला लेना..... . Just Rember the Name Bitches... The Name is AR-Man... Arrogant Reputed Man..."



जाने का आदेश मिलते ही, आँखों मे आंसू लिए.. दुपट्टे से अपना चेहरा साफ करते हुए वो सब तुरंत वहा से रफ़ा दफ़ा हो गयी और उन पाँचो के जाने के बाद सबसे पहले मैने जो काम किया वो ये था कि खुद को थोड़ा झुका लिया, साला बहुत देर से दर्द सहते हुए स्ट्रेट खड़ा था और फिर कॉलेज के अंदर जाने के लिए जैसे ही मुड़ा तो देखा कि वहाँ आस-पास बहुत से स्टूडेंट्स खड़े होकर हम दोनो को आँखे बड़ी-बड़ी करके देख रहे है, वो सभी हॉस्टल  मे रहने वाले फर्स्ट ईयर  के स्टूडेंट्स थे, जो सीनियर्स से बचने के लिए झाड़ी -झुंझाती से इस पीछे वाले गेट के पास आए थे और वहाँ कुछ फर्स्ट ईयर की लड़किया भी थी.... Afterall  लड़कियों को भी रैगिंग का सामना करना पड़ता था.. इसलिए कुछ लड़किया भी हमारी तरह झाड़ियों से होते हुए कॉलेज मे एंट्री करती थी...

"अबे, ये लोग तो मुझे हीरो समझ रही होंगी...."सिगरेट को दूर फेक कर मैंने अरुण से  पूछा...

"चल बे, ये मुझे हीरो समझ रही होंगी...क्यूंकी जो किया.. मैने किया, तूने क्या किया...."

"वैसे एक बात बता..."सहारे के लिए मैने अरुण के कंधे पर हाथ रखा और कॉलेज के अंदर घुसा"वरुण और उसकी दानव सेना से कैसे निपटेंगे....? जोश -जोश मे तो उनकी आइटम्स  को तो पेल दिया... . कही वो लोग गुस्से मे खून ना कर दे और वो हॉस्टल वाला सीनियर...? उसका क्या करेंगे...? यदि वो हॉस्टल के पुरे सीनियर्स के साथ आ गया तो.. फट रही है भाई "

"एक कट्टा खरीद लेते है साला और जब जब वो सब हमारी लेने आएँगे हम कट्टा दिखाकर उन्ही की ले लेंगे....क्या बोलता है..."

"कुछ ज़्यादा नही फेंक दिया..."बोलते - बोलते मैं रुका और क्लास के अंदर चलने के लिए इशारा किया, पर अपनी क्लास के अंदर नही... लंगड़ाते हुए मैं सीएस क्लास के अंदर गया , आज भी अरुण का दोस्त हमसे पहले पहुच चुका था और मुझे देखकर उसने एक झटके मे कह दिया कि "वो नही आई है.."


"साला..."मैने उसे गालियाँ बकि,...अरुण का दोस्त था इसलिए सिर्फ़ गालियाँ बकि यदि मेरा दोस्त होता तो जान से मार देता, साला स्लोली-स्लोली भी तो बोल सकता था कि ऐश आज भी नही आई, ऐसे एक झटके मे बोल कर हार्ट अटॅक दे दिया साले ने... उसके क्लास के लड़को ने सुन लिया वो अलग... बेइज़्ज़ती हुई सो अलग... साला  पांडू.


अपने क्लास मे आकर मैं चुप-चाप बैठ कर सामने बोर्ड की तरफ बहुत देर तक ताकता रहा... उस वक़्त जोश-जोश मे तो मैने उन पाँचो को बत्ती दे दी, लेकिन अब मुझे डर लगने लगा था....लेकिन उन सबकी कल की हरक़त से मुझमे इतनी हिम्मत तो आ ही गयी थी कि अब मैं चुप-चाप होकर मार नही खाउन्गा.... भले ही मर जाऊं, पर एकात को अपने साथ लेकर ही जाऊंगा.

"एक मुक्का तो ज़रूर किसी को मारूँगा और वो भी पूरी ताक़त लगाकर...."

"क्या हुआ बे, किसको मारेगा..."

"कुछ नही ,सामने देख सर आ गये है..."

सामने सर को देखकर अरुण जमहाई लेते हुए बोला"ये फिर पकाएगा..."

वो पीरियड BME का था और जो सर उस सब्जेक्ट को पढ़ाते थे उनका नाम मुझे आज तक नही मालूम, बाकी हम लोग उसे किसी भी नाम से बुला लेते थे जैसे कि फुतिया, बकलोल, कुकुर,  साला, गँवार, पाण्डु.....  क्यूंकि वो जब भी क्लास लेने आता तो एक चीज़ जो हमेशा मेरे साथ होती और वो ये थी कि मैं हमेशा गहरी नींद मे चला जाता भले ही मैं 12 घंटे ही सो कर क्यूँ ना आया हूँ......उस दिन भी मैं नींद की आगोश मे चक्कर लगा रहा था कि अरुण ने मुझे जगाया....

"क्या हुआ..."अपना मुँह फाड़ते  हुए मैने पुछा...

"वो पाण्डु, क्वेस्चन कर रहा है, जाग जा..."

"मेरी बारी आएगी तो जगा देना... जब जवाब.. नही पता मे देना है तो काहे का इतना टेंशन लेना... ज्यादा से ज्यादा अटेंडेंस काट के भागा देगा... और क्या "

"अबे उठ..."मेरे पैर पर ज़ोर से लात मारते हुए अरुण ने कहा....."थोड़ा बहुत तो रेस्पेक्ट दे बे टीचर्स को... सेशनल नंबर यही देगा और फिर प्रैक्टिकल का नंबर भी "
.
"Isochoric प्रोसेस समझ मे आया किसी को...?"उस फुतिये ने हम सबसे पुछा और आधी क्लास ने ना मे जवाब दिया....

"कोई बात नही , आगे देखो"

" सर...."एक लड़का खड़ा हुआ "जब यही समझ नही आया तो आगे क्या देखे..."

"घर मे बुक खोल कर पढ़ना यार ,ईज़ी है सब.... समझ मे आ जाएगा...."


उस लड़के को बैठा कर उस फुतिये ने अपना फुतियापा  आगे भी जारी रखा और इधर मैं फिर लुढ़क गया....जिस लड़के ने अभी कहा था कि "जब यही समझ नही आया तो आगे क्या समझ मे आएगा..."वो ब्रांच ओपनर था.. मतलब उसकी रैंक सबसे बढ़िया थी पुरे क्लास मे और यदि मेरी याददाश्त सही है जो की हमेशा रहती है तो.. वो आज इसरो मे है. उसका नाम मैने तो कभी किसी से नही पुछा लेकिन अक्सर डिस्कशन करते समय कुछ लोग उसका नाम जायद खां बताते थे, खैर .. अपने को क्या लेना देना ......

"आज कौन सा लैब  है..."मैने अरुण से पुछा.


कॉलेज शुरू हुए अभी ज़्यादा दिन नही हुए थे लेकिन इतने ही दिनो मे मुझमे बहुत ज़्यादा बदलाव आ गया था, जहा पहले मैं स्कूल मे टीचर्स की हर बात को बड़े ध्यान से सुनता था वही अब मैं टीचर्स को गालियाँ बकता और हर क्लास मे टाइम पास करता....कॉलेज लगे हुए यूँ तो बहुत दिन नही हुए थे लेकिन इन दिनो मे मैने एक बार भी हॉस्टल  जाकर बुक नही खोला था....मुझे सुबह उठकर फाइल ना ढूँढनी पड़े इसलिए मैने सब सब्जेक्ट की लैब  फाइल अपने बैग  मे डाल कर रखी हुई थी, आलम तो ये था कि जो बैग  मैं कॉलेज से जाकर हॉस्टल  मे फैंकता था वैसा ही बैग  सुबह उठाकर कॉलेज आ जाता और जब भी घर से या बड़े भाई का कॉल आता तो मैं अक्सर यही बोलता था कि स्टडी बढ़िया चल रही है....... कही पुररी कॉलेज मे ना टॉप मार दू... स्कूल की तरह

"असाइनमेंट जमा करो...."दीपिका मैम  अपने हाथ मे पेन लेकर चेयर पर सवार हो चुकी थी....

और जब सब करने लगे तो उन्होंने सबको रोक दिया... अचानक... कॉलेज के प्रोफेसरस का भी अलग चिरांद रहता है, इनको भगवान भी संतुष्ट नही कर सकते... वो आगे बोली...

"पहले ये बताओ कि किस-किसने  असाइनमेंट खुद से बनाया है....?"

ये एक ऐसा सवाल था जिसमे सभी ने अपना हाथ खड़ा किया जबकि एक दो को छोड़ कर शायद ही कोई ऐसा रहा होगा जिसने असाइनमेंट खुद से बनाया होगा..... सब एक दूसरे की फ़ाइल से कॉपी किये हुए बैठे थे...

"वेरी गुड..."अपने चेहरे पर आए बालो को पीछे करते हुए दीपिका मैम  फिर बोली"अब ये बताओ ,किसने असाइनमेंट नही बनाया...."

मैने पूरी क्लास की तरफ देखा, किसी ने भी अपना हाथ नही उठाया , दीपिका मैम  ने अपना दूसरा सवाल फिर दोहराया और इस बार सिर्फ़ एक हाथ खड़ा हुआ और वो हाथ मेरा था...... क्यूंकि कल ग्राउंड मे जो मेरे साथ हुआ, उसके बाद काहे का असाइनमेंट... और दुविधा ये भी थी की सबके सामने असाइनमेंट ना करने का कारण भी नही बता सकता... वरना बेइज्जती होगी, वो अलग....

"क्यूँ...तुमने असाइनमेंट क्यूँ नही किया...."

"भूल गया मैम ..."मैने सीधा और साफ जवाब दिया.....

"रिसेस मे तुम मुझसे कंप्यूटर लैब  मे मिलना और तीन गुना ज्यादा असाइनमेंट मेरे से ले लेना..."

मैने गर्दन हाँ मे हिला दी और बैठ गया , इस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा गुस्सा अरुण पर आ रहा था क्यूंकी उसने असाइनमेंट कंप्लीट कर लिया और मुझे बताया तक नही......

"क्यूँ बे मुझे क्यूँ नही बताया तूने..."उसके पैर पर जोरदार लात मार कर मैने पुछा....

"मुझे लगा कि तूने कर लिया होगा..."अपने पैर को सहलाते हुए उसने कहा..."अगली बार से बता दूँगा..."

उस दिन दीपिका मैम  का पूरा पीरियड असाइनमेंट जमा करने और चेक करने मे बीत गया, असाइनमेंट चेक करते समय दीपिका मैम  बीच-बीच मे मुझे देखती और कभी-कभी हमारी नज़रें भी टकरा जाती.....जब पीरियड ख़तम हुआ तो दीपिका मैम  ने जाते हुए मुझे एक बार फिर रिमाइंड कराया कि मुझे रिसेस मे उनसे मिलना है......
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"आज तो बेटा दीपिका मैम  तुझे ठोक के रहेगी..."अरुण मेरे मज़े लेते हुए बोला...3rd पीरियड शुरू हो चुका था लेकिन टीचर लापता था और तभी मैने अपनी अकल दौड़ाई और नवीन से उसकी बाइक की चाबी माँगी......

"अबे बाहर सीनियर्स होंगे..."अरुण ने कहा और जिसे समझ कर मैं बैठ गया.....

मैने सोचा था कि एक असाइनमेंट कॉपी खरीद कर इस खाली पीरियड मे ही अस्सिगमेंट पूरा कर लूँ और रिसेस मे दीपिका मैम  के मुँह पर असाइनमेंट दे मारू, ताकि मुझे तीन गुना असाइनमेंट ना करना पडे... लेकिन सीनियर्स का नाम सुनकर मेरा पूरा प्लान चौपट हो गया.....

खुद को बाजीराव सिंघम और उसके साथ रहने वाला उसका एक और दोस्त अक्सर फर्स्ट ईयर  की क्लास के कॉरिडर मे चक्कर मारते रहते थे और जो क्लास भी खाली दिखी वो उसमे घुसकर अपना रोला झाड़ते, उस दिन जब हमारी क्लास खाली जा रही थी तो उसी वक़्त वो दोनो टपक पड़े......उनमे से एक जो खुद को बाजीराव सिंघम कहता था वो अंदर आया और उसके साथ हमेशा कॉलेज के चक्कर काटने वाला उसका दोस्त गेट पर खड़ा होकर निगरानी करने लगा की कही से कोई आ तो नही रहा....बाजीराव सिंघम लड़कियो की तरफ जाकर गप्पे मारने लगा...  सब नॉर्मल हो गये और आपस मे बात करने लगे....तभी वो अचानक चीखा......

"क्या है बे ये...सीनियर क्लास मे है और तुम लोग दिमाग़ की माँ-बहन किए जा रहे हो...."लड़को की तरफ आता हुआ वो बोला और फिर उसने मुझे देख लिया"तू खड़े हो, क्या नाम बताया था कल तूने अपना..."

"अरमान....."

"अरमान...."मुझे उपर से नीचे तक देखते हुए उसने वही कहा जिसकी मुझे आशंका थी"ज़्यादा उड़ी मे रहना बंद कर दे ,वरना....."गेट पर खड़े अपने दोस्त की तरफ इशारा करके वो आगे  बोला....


"ये जो तुम्हारा सीनियर है ना...  मैं इस सीनियर का भी बाप हूँ.... मै बाजीराव सिंघम हूँ .. समझा...? क्या समझा...?"अपनी छाती जोर जोर से ठोकते हुए वो bola"तो अब सोच ले कि मैं तेरा भी बाप हूँ.... समझा.."

उसका ये कहना था कि मेरा खून हज़ार डिग्री सेल्सीयस पर खौला, मैने उसे घूर कर देखा....एक बार फिर वही हुआ जो मैने सोच कर रखा है, वो मेरे पास आया और मेरा कॉलर पकड़ कर बोला..

"क्या घूर रहा है , मैं हूँ तेरा बाप..."

"चल बे टुच्चे...  मूत दूंगा तो बह  जायेगा... "

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3 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 09:11 PM

Very nice

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 05:22 PM

कहानी है या आँखों देखी.. बहुत बढ़िया

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Fiza Tanvi

27-Aug-2021 12:22 PM

Achi kahani h

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